पिता से जल्द आने का वादा करके भारत आईं थीं सोनिया, जानें अनजानी बातें

जयपुर। जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल की सबसे चर्चित किताब है द रेड साड़ी। सोनिया गांधी के जीवन पर स्पेनिश लेखक जेवियर मोरो की लिखी यह किताब हाथोंहाथ बिक रही है। शुक्रवार को यह आउट ऑफ स्टॉक हो गई। सोनिया पर ही किताब क्यूं लिखी इसका जवाब देते हुए मोरो बोले-मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ था कि सोनिया पर कभी कोई किताब नहीं लिखी गई। यही पहला विचार था जिसने किताब लिखने की प्रेरणा दी।
जानें अनजानी बातें



इटली और भारत में सोनिया-राजीव के परिचितों से छोटी-छोटी जानकारियां जुटाई तो मेरी रिसर्च ने एक अनोखी प्रेम कहानी की शक्ल ले ली।

सोनिया के वे अनछुए पहलू : जो मोरो दुनिया के सामने लाए
वो बचपन से ही रिजर्व नेचर की थी। पिता सख्त मिजाज के थे जो अपनी तीनों बेटियों को कड़े अनुशासन में पालते थे। लेकिन 1965 में जब वो लड़की कैंब्रिज यूनिवर्सिटी पढ़ने गई तो वो बेखबर थी कि उन्हें एक हिंदुस्तानी से प्यार हो जाएगा। यह थी इटली की सोनिया मायनो जो सबकुछ छोड़कर हिंदुस्तान आ गईं।

सोनिया के पिता स्टिफैनो पुराने ख्यालात के थे। बेटियों को गांव के स्कूल में इसलिए नहीं भेजा क्योंकि वो को-एजुकेशनल था। उन्होंने उनका दाखिला 7 किमी दूर गर्ल्स स्कूल में करवाया। क्या ऐसा पिता तैयार होता अपनी बेटी की शादी किसी हिंदुस्तानी से करवाने के लिए? हिंदुस्तान के लिए निकलने से पहले सोनिया उनसे वायदा करके गई थी कि वो जल्दी लौटेगी। लेकिन उन्हें पता था कि अब उसके कदम वापस नहीं आएंगे। इंदिरा गांधी ने जब अपनी शादी में पहनी हुई साड़ी उसे पहनाई तो उसने उन जिम्मेदारियों को भी पहन लिया जो एक बहू की होती हैं। राजीव ने वादा किया था कि कभी राजनीति में नहीं उतरूंगा, लेकिन जब इंदिरा की मृत्यु हुई तो वह वादा टूट गया।

वो कभी एयर इटालिया में एयरहोस्टेस बनना चाहती थी या फिर पेंटिंग्स के प्रिजर्वेशन पर काम करना चाहती थी। पॉलिटिक्स पसंद ही नहीं थी, लेकिन आज वो एक अलग ही शख्सियत हैं। वे जो कर रही हैं जिसे वो शायद सपने में भी पसंद नहीं करती थीं।

इंदिरा गांधी का जाना, फिर राजीव के साथ हुए हादसे ने उन्हें तोड़ कर रख दिया। राजीव की मौत के बाद वह वजह भी नहीं रही, जिसकी वजह से वे हिन्दुस्तान में थीं। मां ने फोन पर कहा-तुम इटली वापस आ जाओ, वो खामोश रही। हिन्दुस्तान की मिट्‌टी से जुड़ चुकी थीं। अब लौटना नामुमकिन था।

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